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Seed and Plant: धरती पर पहले संतरा आया या फिर उसका बीज? जानते हैं इस पर क्या कहती है साइंस?

<p>&nbsp;धरती पर लाखों प्रजाति के पेड़-पौधे मौजूद है. लेकिन जब सवाल होता है कि धरती पर पहले पेड़ आया या बीज तो अधिकांश लोग इस सवाल का जवाब नहीं दे पाते हैं. क्या आप जानते हैं कि पहले संतरा आया था या उसका बीज आया था. आज हम आपको बताएंगे कि धरती पर सबसे पहले पेड़ कैसे आया था.&nbsp;</p>
<p><strong>पेड़-पौधा</strong></p>
<p>बता दें कि पेड़-पौधे पृथ्वी पर जीवन के विकास में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं. दरअसल बीज शब्द का अर्थ पेड़ पौधों के लिए ही उपयोग में लाया जाता है, लेकिन साहित्य में बीज शब्द उद्गम बिंदु के लिए उपयोग में लाया जाता रहा है. लेकिन हमेशा लोगों के मन में ये सवाल आता है कि आखिर पृथ्वी पर पौधों का पहला बीज कहां से आया था. अब सोचकर देखिए आप की बिना बीज के पेड़ नहीं आ सकता है और बिना पेड़ के बीज नहीं आ सकता है.&nbsp;</p>
<p>इसे भी जीवन का उद्भव या विकास कहते हैं. इस लंबी प्रक्रिया में समय के साथ जीवों में बदलाव होते हैं, जिन्हें जीव बदलते परिवेश में सही तरह से ढालने के लिए लाते हैं. इसी तरीके से खुद बीजों के विकास की भी अपनी कहानी है. पेड़ पौधों ने बीजों के जरिए खुद को फैलाने का काम 38.5 से 36.5 करोड़ साल के बीच में शुरू किया था. यानी कि बीजों के अस्तित्व में आने से पहले ही पेड़-पौधों का अस्तित्व मौजूद था. बीजों के आने से पहले पौधे बीजाणुओं का उपयोग करते थे, जिन्हें स्पोर्स कहते हैं. आज भी शैवाल, काई, फर्न जैसे पादपों में अब भी बीजाणु होते हैं. ये महीन भूरे कण फर्न पत्तियों के नीचे पाए जाते हैं. लेकिन ये बीच से कुछ मायनों में अलग होते हैं. बीजाणु केवल एक ही कोशिका के होते हैं, जबकि बीज में बहुत सारी कोशिकाएं होती हैं और विभिन्न कोशिकाओं की अलग-अलग भूमिका भी होती है.</p>
<p>जहां बीजाणु केवल एक ही पौधे से पैदा होते हैं, वहीं बीज के बनने में दो पौधों का योगदान होता है. यानि एक बार अंकुरित होने की बाद बीज अपने अभिभावकों की तरह से पनप सकता है. लेकिन बीजाणुओं की उससे पहले लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. पेड़ से दूर होने पर उन्हें हरी कोशिकीय प्लेट के रूप में विकसित होना होता है, जिसे गैमोटोफाइट कहते हैं. पौधे के रूप में पनपने के लिए दो गोमोटोफाइट का मिलना होता है.</p>
<p><strong>पहला बीज कौन सा?</strong></p>
<p>वैज्ञानिकों के मुताबिक वास्तव में एल्क्सिनिया पॉलोर्फा नाम का विलुप्त फर्न है, जो पौधों ने पहले बीज के तौर पर उपयोग किया था. इस पौधे में एक कप की तरह का हिस्सा होता है, जिसे कपल्स कहते हैं. ये बीज का विकसित होते समय संरक्षण करता था. ये कपल्स पौधे की शाखाओं के साथ बढ़ते हैं. अब तो बीज या तो फल के या फिर देवदार के पेड़ के कठोर शंकु के अंदर होते हैं. दरअसल बीज का विकास इसलिए हुए था कि उनसे पौधों को पनपने में बेहतर मदद मिल सके. उन पर कठोर आवरण भी होता है, जिससे बीज लंबे समय तक सुरक्षित भी रह पाते हैं. वहीं ये मौसम की विपरीत स्थितियों को भी झेल सकते हैं.&nbsp;</p>
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