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Mahadev Book: ऑनलाइन सट्टे से हर महीने कमाए 8-8 सौ करोड़, शेयर बाजार में भी लगा महादेव ऐप वालों का मोटा पैसा

<p>महादेव सट्टा स्कैम अभी सुर्खियों में है. इस मामले में लगातार छापेमारियां की गई हैं और हर कार्रवाई में चौंकाने वाले खुलासे होते गए हैं. इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने अब प्रोसेक्यूशन कंप्लेन फाइल किया है. चार्ज शीट के समतुल्य माने जाने वाले प्रोसेक्यूशन कंप्लेन में ईडी का दावा है कि महादेव ऐप को चलाने वालों ने ऑनलाइन सट्टे के जरिए हर महीने 8-8 सौ करोड़ रुपये की कमाई की है.</p>
<h3>हर पैनल से 30-40 लाख कमाई</h3>
<p>ईडी का कहना है कि अब तक हुई जांच के आधार पर महादेव सट्टा ऐप से की जाने वाली कमाई का अंदाजा लगा है. शुरुआती चांज के हिसाब से महादेव सट्टा ऐप के प्रमोटर हर महीने एक-एक पैनल से 30-40 लाख रुपये की कमाई कर रहे थे. अभी जितने एक्टिव पैनलों की जानकारी मिल पाई है, उनकी संख्या 2000 से भी ज्यादा है. इस तरह देखें तो हर महीने सट्टे के जाल से महादेव ऐप के प्रमोटर 600 से 800 करोड़ रुपये की कमाई कर रहे थे.</p>
<h3>5000 करोड़ रुपये से ज्यादा का स्कैम</h3>
<p>ईडी ने अभी अनुमान लगाया है कि महादेव सट्टा ऐप के स्कैम का यह पूरा मामला 5000 करोड़ रुपये से ज्यादा का है. इस मामले में सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल को मुख्य आरोपी बनाया गया है. यही दोनों महादेव सट्टा नेटवर्क के प्रमोटर हैं और पूरे सट्टा स्कैम के मुख्य लाभार्थी भी यही दोनों हैं. दोनों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट हो चुके हैं. हालांकि अभी तक दोनों जांच एजेंसियों की पकड़ से बाहर हैं. इस कारण अब उनके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस निकलवाने की तैयारी चल रही है. इसके लिए ईडी ने सीबीआई को रिक्वेस्ट किया है, जो रेड कॉर्नर नोटिस जारी करवाने के लिए इंटरपोल से संपर्क करने के लिए अधिकृत है.</p>
<h3>सट्टा स्कैम का मोडस ओपेरांडी</h3>
<p>इस पूरे स्कैम के बारे में जानने के लिए सबसे जरूरी मोडस ओपेरांडी को जानना है, यानी किस तरीके से इतने बड़े पैमाने पर स्कैम को अंजाम दिया गया. ईडी का मानना है कि चंद्राकर और उप्पल फ्रेंचाइजी मॉडल के आधार पर सट्टे के नेटवर्क को संचालित कर रहे थे. इस पूरे नेटवर्क को चलाने में उन्हें कई सहयोगियों का साथ मिल रहा था.</p>
<h3>इस हिसाब से शेयर होता था मुनाफा</h3>
<p>इसके लिए कई ऑपरेटर बनाए गए थे. सभी ऑपरेटर को महादेव सट्टा नेटवर्क की तरफ से पैनल दिया जाता था. सट्टा खेलने वालों को यूजर आईडी अलॉट करना, उन्हें पैसे लेकर कॉइन प्रोवाइड करना आदि ऑपरेटर का काम होता था. दूसरे शब्दों में कहें तो सट्टा लगाने वालों से पैसे जमा करना और उन्हें सट्टा खिलवाना पैनल ऑपरेटर का काम था. इस फ्रेंचाइजी मॉडल में 70-30 के अनुपात में प्रॉफिट को शेयर किया जाता था. यानी हर पैनल से हुए मुनाफे का 70 फीसदी प्रमोटर्स का होता था, जबकि 30 फीसदी मुनाफा पैनल ऑपरेटर के पास रहता था.</p>
<h3>ऐसे होता था पैसों का ट्रांसफर</h3>
<p>पैनल ऑपरेटर के पास जमा हुए पैसों को हवाला समेत विभिन्न अवैध रूट के माध्यम से विदेश में बैठे प्रमोटर्स तक पहुंचाया जाता था. महादेव ऐप के लिए हवाला से जुड़े काम को विकास छपरिया संभालता था. इस काम में उसकी मदद गोविंद केडिया और अमिल सरावगी जैसे लोग कर रहे थे. पैसों को 3-4 लेयर में घुमाने के बाद प्रमोटर्स तक पहुंचाया जाता था. इसके लिए मुंबई और गुजरात स्थित प्रोफेशनल इंटरनेशनल हवाला ऑपरेटर्स की मदद ली जाती थी.</p>
<h3>संयुक्त अरब अमीरात में मेन सेंटर</h3>
<p>महादेव ऐप के प्रमोटर सारा काम विदेश में बैठकर संभालते थे. महादेव ऐप के प्रमोटर यानी चंद्राकर और उप्पल पहले संयुक्त अरब अमीरात में थे. अब ईडी को शक है कि दोनों प्रमोटर श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, लंदन और अन्य कैरेबियाई देशों का चक्कर काटते रहते हैं. महादेव ऐप का मेन कॉल सेंटर यूएई से चल रहा था, जिसमें करीब 1000 व्हाट्सऐप यूजर काम कर रहे थे. कॉल सेंटर में काम करने वाले ज्यादातर यूजर छत्तीसगढ़ से थे.</p>
<h3>एफपीआई से वापस आ रहे थे पैसे</h3>
<p>इस पूरे मामले में ईडी को जांच के दौरान जो सबसे चौंकाने वाली जानकारी मिली है, वो है कि महादेव सट्टा स्कैम का पैसा घूम-घामकर वापस भारत आ रहा था और शेयर बाजार में इन्वेस्ट हो रहा था. ईडी को जांच के दौरान तीन कंपनियों मेसर्स परफेक्ट प्लान इन्वेस्टमेंट्स एलएलपी, मेसर्स एक्जिम जनरल ट्रेडिंग एफजेडसीओ और मेसर्स टेकप्रो आईटी सॉल्यूशंस एलसी के बारे में पता चला. ईडी को शक है कि ये कंपनियां महादेव सट्टा स्कैम से उगाही रकम को एफपीआई रूट के माध्यम से भारतीय शेयर बाजार में निवेश कर रही थीं. ईडी ने फिलहाल इन कंपनियों के कैश डेरिवेटिव्स और सिक्योरिटीज को फ्रीज किया है, जिनकी वैल्यू करीब 240 करोड़ रुपये है.</p>
<h3>इस छोटे देश में छिपे होने का शक</h3>
<p>सट्टा नेटवर्क के प्रमोटर्स चंद्राकर और उप्पल के बारे में ईडी को जांच में पता चला है कि दोनों ने वानुतु की नागरिकता ले ली है. वानुतु दक्षिणी प्रशांत क्षेत्र में पपुआ न्यू गिनी और फिजी के बीच स्थित एक छोटा आइलैंड कंट्री है. अब जांच एजेंसियां दोनों को वहां से प्रत्यर्पित कराने के प्रयास में लगी हुई हैं. इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस जारी करवाना इन्हीं प्रयासों का हिस्सा है.</p>
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