<p>मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू लगातार भारतीय सेना को देश से बाहर करने की बात कर रहे हैं. उनके संदेश से साफ है कि आने वाले कुछ दिनों में वो इसके लिए कोई बड़ा कदम उठाएंगे. कहा जा रहा है कि वो ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू की नजदीकी भारत के मुकाबले चीन से ज्यादा है. चलिए आज इस आर्टिकल में आपको बताते हैं कि आखिर मालदीव की धरती पर भारतीय सेना के कदम कब पड़े थे.</p>
<h3>पहली बार मालदीव कब पहुंची थी भारतीय सेना</h3>
<p>मालदीव सामरिक दृष्टिकोण से भारत के लिए बहुत अहम है. इसलिए भारत किसी भी स्थिति में इस छोटे से देश से अपने संबंध खराब नहीं करना चाहता. यही वजह है कि जब 1988 में वहां के तत्कालीन राष्ट्रपति मौमून अब्दुल ग़यूम ने भारत से सत्तापलट के खिलाफ सैन्य मदद मांगी तो भारत सरकार ने बिना सोचे उनकी मदद की.</p>
<h3>ऑपरेशन कैक्टस की कहानी</h3>
<p>नवंबर 1988 में मालदीव आंतरिक कलह से जूझ रहा था. देश के अंदर राष्ट्रपति मौमून अब्दुल ग़यूम के खिलाफ मालदीव के व्यापारी अब्दुल्ला लुथूफ़ी और उनके साथी सिक्का अहमद इस्माइल मानिक तख़्तापलट की साजिश रच रहे थे. कुछ ही दिनों में अब्दुल ग़यूम भारत की यात्रा पर आने वाले थे, लेकिन इससे पहले कि वो भारत की यात्रा पर आते वहां बग़ावत हो गई. अब्दुल्ला लुथूफ़ी और सिक्का अहमद इस्माइल मानिक ने श्रीलंका के चरमपंथी संगठन ‘प्लोट’ (पीपुल्स लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ़ तमिल ईलम) के भाड़े के लड़ाकों के सहारे देश पर कब्जा करना चाहा. हालांकि, समय रहते राष्ट्रपति मौमून अब्दुल ग़यूम इस हमले को भांप गए और एक सेफ हाउस में छिप गए.</p>
<p>वहां से उन्होंने सीधे भारत फोन लगाया और अपनी सुरक्षा के लिए मदद मांगी. मौजूदा राजीव गांधी सरकार ने राष्ट्रपति मौमून अब्दुल ग़यूम की बात को गंभीरता से लेते हुए कुछ ही घंटों में भारतीय सेना की एक टुकड़ी को हवाई मार्ग के जरिए हुलहुले हवाई अड्डे पर पहुंचा दिया गया. यहां से भारतीय सैनिक राष्ट्रपति मौमून अब्दुल ग़यूम के सेफ हाउस तक पहुंचे और उन्हें विद्रोहियों से बचा लिया. इस अभियान के बाद भारत और मालदीव के बीच संबंध बेहद घनिष्ठ हो गए थे. हालांकि, राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू इस संबंध को बेहतर करने की जगह बदतर करने की ओर आगे बढ़ रहे हैं.</p>
<h3>फिलहाल भारतीय सेना वहां क्या कर रही है</h3>
<p>फिलहाल मालदीव में महज 75 सैनिक हैं. इन सैनिकों के पास कुछ टोही विमान है जिससे वो हिंद महासागर की निगरानी करते हैं. इसके साथ ही वो मालदीव में राहत बचाव कार्य और मेडिकल सहायता पहुंचाने का भी काम करते हैं. आपको बता दें, कुछ समय पहले भारतीय नौसेना ने अपना एक डोर्नियर विमान और दो हेलीकॉप्टर यहां तैनात किए थे जो मुख्य रूप से 200 छोटे-छोटे द्वीपों के मरीजों को अस्पताल पहुंचाने का काम करते हैं.</p>
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