<p>इंसान भावनाओं से भरा एक पुतला है. परिस्थिति के अनुसार उसके अंदर से तरह-तरह की भावनाएं निकलती हैं. इन्हीं भावनाओं में गुस्सा भी है. कई बार इंसान जब बहुत ज्यादा गुस्से में होता है तो वह कुछ गलत कदम उठा लेता है जिसके लिए उसे जिंदगी भर पछताना पड़ता है. </p>
<p>लेकिन क्या हो अगर हम कहें कि सिर्फ एक छोटे से काम से आप अपने गुस्से को चुटकियों में कंट्रोल कर सकते हैं. सबसे बड़ी बात की ये तरीका सिर्फ कही सुनी बात नहीं है. बल्कि इस पर वैज्ञानिक तरीके से शोध हुआ है. चलिए आपको इस रिसर्च के बारे में विस्तार से समझाते हैं.</p>
<p><strong>क्या कहती है रिसर्च</strong></p>
<p>साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में इसी हफ्ते एक रिसर्च रिपोर्ट छपी है. इस रिपोर्ट में नागोया यूनिवर्सिटी में कॉग्निटिव साइंस के प्रोफेसर नोबुयुकी कवाई ने इस रिसर्च से जुड़ी कई बातें लिखी हैं. उनके अनुसार इस रिसर्च में 100 छात्रों ने हिस्सा लिया था. रिसर्च के अंत में जो रिजल्ट निकला उसने सबको हैरान कर दिया.</p>
<p>कवाई की मानें तो जिन छात्रों को कुछ बातों पर बेहद ज्यादा गुस्सा आया था, उन्होंने उन चीजों के प्रति अपनी भावनाएं एक कागज पर लिखीं और उसे फाड़ दिया. हैरानी की बात ये थी कि इसके बाद उन चीजों के प्रति छात्रों का गुस्सा छू मंतर हो गया.</p>
<p><strong>किस तरह का प्रयोग हुआ था?</strong></p>
<p>दरअसल, इस रिसर्च के लिए पहले 100 छात्रों को इकट्ठा किया गया. इसके बाद उन्हें एक कागज और पेन दिए गए. फिर उन्हें कहा गया कि वो कुछ सामाजिक मुद्दों पर अपनी संक्षिप्त राय लिखें. जैसे सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान की पाबंदी होनी चाहिए या नहीं. इस तरह के मुद्दों पर. कुछ देर बाद जब छात्रों ने कागज पर अपनी राय लिख दी तो कहा गया कि एक पीएचडी छात्र उनकी लिखी हर बात का मूल्यांकन करेगा.</p>
<p>मूल्यांकन करने वाले छात्र ने शोध में शामिल छात्रों को बेहद कम अंक दिए और उनको बेहद अपमानजनक फीडबैक भी दिया. इस तरह के अपमानजनक फीडबैक से छात्रों में गुस्सा भर गया. इसके बाद 100 छात्र दो हिस्सों में बंट गए. एक ग्रुप ने एक कागज पर पीएचडी छात्र के प्रति अपनी गुस्से से प्रेरित भावनाएं लिखीं और उन्हें फाड़ दिया. जबकि दूसरे गुट ने अपनी भावनाओं को एक कागज पर लिख कर शीशे के कंटेनर में डाल दिया.</p>
<p>वैज्ञानिकों ने देखा कि इस अपमानजनक फीडबैक के बाद जिन लोगों ने अपनी भावनाओं को एक कागज में लिख कर उसे टुकड़ों में फाड़ दिया था, उनमें गुस्से का स्तर घटते-घटते पूरी तरह से खत्म हो गया था. जबकि, जिन लोगों ने अपनी भावनाओं वाली चिट्ठी को शीशे के कंटेनर में संभाल कर रख दिया था, उनके अंदर गुस्से का स्तर उसी तरह से बरकरार था.</p>
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