<p style=”text-align: justify;”><strong>Sabudana Making Process: </strong>आप जब भी व्रत रखते होंगे तो साबूदाने की खिचड़ी या टिकिया खाकर शरीर को उचित ऊर्जा देते होंगे. कई लोगों को तो इसकी खिचड़ी इतनी पसंद है कि वो शौकिया तौर पर ये बनवाते हैं. ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ये साबूदाना बनाए कैसे जाते हैं. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ये जिस पौधे के गूदे से बनाए जाते हैं वो हमारे आसपास ही उगते हैं. यदि नहीं तो चलिए आज हम आपको यही बताने वाले हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इस पौधे के गूदे से बनते हैं साबूदाने<br /></strong>साबूदाने सागो पाम नाम के पेड़ के तने से उगाए जाते हैं. सागो का पेड़ ताड़ के पेेड़ की तरह ही होता है. ये मुख्य तौर पर अफ्रीकी पौधा है. जिसका तना मोटा होता है. इसके बीच के हिस्से को चीर कर उसमें से गूदा निकाला जाता है. जिसे पीसकर उसका पाउडर बनाया जाता है. इसके बाद इस पाउडर को छान लिया जाता है. फिर् उसे गर्म करके साबूदाने बनाए जाते हैें. बता दें कि जिस कच्चे माल से साबूदाना तैैयार किया जाता है, उसे टैपिओका रूट कहते हैं. इसे कसावा नाम से भी जाना जाता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ऐसे किया जाता है तैयार<br /></strong>टैपिओका स्टार्च कसावा कंद नामक शकरकंद जैसे दिखने वाले कंद से बनता है. साबूदाना बनाने के लिए कसावा के गूदे को काटकर बड़े-बड़े बर्तनों में 8 से 10 दिन तक रखा जाता है. इन दिनों में रोज इनमें पानी डाला जाता है. इसके बाद इससे बनने वाले गूदे को मशीनों में डाला जाता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>फिर इसे सुखाया जाता है, फिर इस ग्लूकोज या फिर स्टॉर्च से बने पाउडर को पॉलिश करके साबूदाना बनाया जाता है. इस तरह मोती की तरह दिखने वाला साबूदाना तैयार किया जाता है. बता दें कि साल 1943-44 में इसका उत्पादन कुटीर उद्योग के लिए किया गया था. जो धीरे-धीरे लोगों की पसंद बन गया. </p>
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