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अडानी मामले में जांच रिपोर्ट जमा करने में देरी पड़ी सेबी को भारी, सुप्रीम कोर्ट में रेगुलेटर के खिलाफ याचिका दाखिल

<p style=”text-align: justify;”><strong>Adani-Hindenburg Case: </strong>अडानी-हिंडनबर्ग मामले में सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. वकील विशाल तिवारी ने देश की सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दी है. उन्होंने आरोप लगाया है कि सेबी ने शेयर कीमतों में हेराफेरी करने के आरोपों को लेकर अडानी ग्रुप की जांच पूरी करने और रिपोर्ट सौंपने की आखिरी तारीख का उल्लंघन किया है. सुप्रीम कोर्ट ने गौतम अडानी की अगुवाई वाले अडानी ग्रुप के शेयर कीमतों में हेराफेरी करने के आरोपों की जांच पूरी करने के लिए सेबी को 17 मई 2023 को 14 अगस्त, 2023 तक का समय दिया था.</p>
<h3 style=”text-align: justify;”><strong>वकील विशाल तिवारी ने फाइल की पेटीशन</strong></h3>
<p style=”text-align: justify;”>पेटीशनर विशाल तिवारी ने जो पीआएल फाइल की है उसमें कहा है कि सेबी को दी गई समय सीमा के बावजूद वो कोर्ट के ऑर्डर का पालन करने में विफल रही है. उसने अदालत के निर्देशानुसार अंतिम निष्कर्ष/फाइनल रिपोर्ट पेश नहीं की है. याचिका में कहा गया है कि कोर्ट के 14 अगस्त तक की डेडलाइन तय करने के बावजूद सेबी अपनी रिपोर्ट दाखिल करने में असफल रही.&nbsp;</p>
<h3 style=”text-align: justify;”><strong>सेबी से स्पष्टीकरण मांगा जाना चाहिए- याचिकाकर्ता</strong></h3>
<p style=”text-align: justify;”>इसमें कहा गया है कि जांच पूरी करने और रिपोर्ट जमा करने के लिए अदालत ने सेबी को 17 मई, 2023 के आदेश में तय की गई समयसीमा का अनुपालन नहीं करने के लिए सेबी से स्पष्टीकरण मांगा जाना चाहिए. याचिका में अडानी ग्रुप और ट्रांसपेरेंट मॉरीशस फंड के जरिए उसके कथित निवेश के खिलाफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम ऐंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) की लेटेस्ट रिपोर्ट का भी जिक्र किया गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>विशाल तिवारी की लेटेस्ट पीआईएल में कहा गया है कि जनहित याचिका का शुरुआती ध्यान सिर्फ इस बात पर था कि रेगुलेटिंग सिस्टम को मजबूत करने के लिए भविष्य में क्या कदम उठाए जाएंगे. निवेशकों की सुरक्षा से लेकर शेयर बाजार में उनका निवेश सुरक्षित रहे इस पर ही याचिका का फोकस था. विशाल तिवारी ने अपनी अर्जी में कहा कि कंपनियों के आचरण और प्रथाओं पर निगाह रखने के लिए एक मजबूत सिस्टम की भी जरूरत है, भले ही वो रेगुलेटरी अथॉरिटी के तयशुदा जरूरी रूल्स और रेगुलेशन का अनुपालन कर रहे हों. विशाल तिवारी ने कहा कि सेबी ने अपने आवेदन में जांच पूरी करने के लिए जरूरी समयसीमा के सुझाव पर आपत्ति जताई है.</p>
<h3 style=”text-align: justify;”><strong>11 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने सेबी से पूछा था सवाल</strong></h3>
<p style=”text-align: justify;”>सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई को सेबी से अडानी ग्रुप के शेयर के मूल्यों में हेरफेर करने के आरोपों की चल रही जांच की स्थिति के बारे में पूछा था और कहा था कि जांच 14 अगस्त तक दिए गए समय में तेजी से पूरी करनी होगी. विशाल तिवारी की याचिका में आरोप हैं कि 25 अगस्त, 2023 को सेबी ने अपनी जांच के बारे में स्टेटस रिपोर्ट दायर की थी. इसमें कहा गया था कि कुल मिलाकर उसने 24 जांच की हैं, जिनमें से 22 के फाइनल नतीजे आ चुके हैं और दो अंतरिम प्रकृति की हैं.</p>
<h3 style=”text-align: justify;”><strong>सेबी का क्या है कहना</strong></h3>
<p style=”text-align: justify;”>सुप्रीम कोर्ट ने छह नवंबर को कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री अडानी ग्रुप से जुड़ी जनहित याचिकाओं को सुनवाई के लिए लिस्ट करने के मामले पर गौर करेगी. इसके बाद, बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानी सेबी ने जांच को लेकर स्टेटस रिपोर्ट दायर की और कहा था कि वह टैक्स हैवन देशों से जानकारी मिलने का इंतजार कर रहा है. &nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>सेबी ने कहा था कि अडानी ग्रुप के खिलाफ दो को छोड़कर सभी आरोपों की जांच पूरी कर ली गई है. इस ग्रुप की कंपनियों में निवेश करने वाली विदेशी कंपनियों के असली मालिकों के बारे में पांच देशों से जानकारी आने का उसे अभी इंतजार है. उसने कहा था कि वह अडानी ग्रुप से संबंधित जिन 24 मामलों की जांच कर रहा है, उनमें से 22 मामलों के फाइनल रिजल्ट आ चुके हैं.</p>
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